सहसंबंध क्या होता है ?

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 परिचय :


केंद्रीय प्रवृत्ति की मापे एवं प्रक्षेपण किस मैप पर केवल एक श्रेणी या श्रृंखला के संबंध में ही अध्ययन करती हैं परंतु व्यवहारिक जीवन में प्रत्येक क्रिया या श्रृंखला दूसरी क्रिया या श्रृंखला से परस्पर संबंध होती है, अक्सर दो या दो से अधिक संबंध श्रेणियां में परस्पर संबंध पाया जाता है मतलब की एक श्रेणी में बदलाव होने से दूसरी संबंधित श्रेणी में भी बदलाव होंगे इस प्रकार श्रेणियां के समक्ष एक दूसरे पर आश्रित रहते हैं उदाहरण के लिए जब किसी वस्तु की मांग बढ़ती है तो उसके मूल्य में भी वृद्धि होने लगती है बच्चों की आयु बढ़ती है तो उनकी लंबाई भी बढ़ती है वर्ष अधिक होने पर फसल की उपज भी अच्छी होने लगती है अतः जब दो समंक श्रेणियां में कार्य कारण संबंध पाया जाता है अर्थात एक में परिवर्तन दूसरे को प्रभावित करता है तब उनके बीच सह सम्बन्ध पाया जाता है

सहसंबंध की परिभाषाएं :

जब दो दो चर राशियों में से किसी एक के बढ़ने पर किसी दूसरे में वृद्धि या उसमें कमी आती है तो उन दोनों चर राशियों में सहसंबंध पाया जाता है

1.प्रो किंग के अनुसार यदि यह सत्य होता कि अधिकांश धरनो में दो चार सदैव एक ही दिशा में या विपरीत दिशा में घटने बढ़ने की प्रवृत्ति रखते तो हम यह मानते कि उनमें सह संबंध पाया जाता है।

सहसंबंध के प्रकार :

1. धनात्मक अथवा ऋणात्मक सहसंबंध: अगर एक चर का मन घटने पर दूसरे चर का मान भी घट जाता है या चर का मान बढ़ाने पर दूसरे चर का भी मान बढ़ जाता है , तो ऐसा सहसंबंध धनात्मक होता है। मांग एवं पूर्ति में इसी प्रकार का सहसंबंध पाया जाता है
और ऋणात्मक संबंध उस दशा में होगा जब एक चर मान के घटने पर दूसरा चर मान बढ़ता है तथा एक चर मान के बढ़ने पर दूसरे चर का मान घटना है कीमत एवं मांग में इसी प्रकार का सहसंबंध पाया जाता है










     
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